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Saturday, September 15, 2007

दैनिक प्रार्थना


दैनिक प्रार्थना

ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेंण्यं भर्गो देवस्य


धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात।

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ॐ गुरुर्ब्रह्मा गुरुविर्ष्णु गुरुर्देवो महेश्वरः।


गुर साक्षात परब्रह्म तस्मै श्रीगुरवे नमः॥


ॐ नमः शिवाय ! ॐ नामः शिवाय !! ॐ नमः शिवाय !!!


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है प्राथना गुरुदेव से यह् स्वर्गसम संसार हो,

अति उच्चतम जीवन बने परमार्थमय व्यवहार हो।
ना हम रहें अपने लिए हमको सभी से गर्ज है।

गुरुदेव यह आशीष दें जो सोचने का फर्ज है ।

हम होन पुजारी तत्त्व के गुरुदेव के आदेश के,

सच प्रेम के नित नेम के सदधर्म के सत्कर्म के।

हो चिढ़ झुठी राह की अन्याय की अभिमान की,

सेवा करन को दास की परवाह नहीं हो जान की।

छोटे ना हो हम बुद्धि से, होन विश्वमय से इशमय,

हो राममय और कृष्णमय जग देवमय जगादीशमय।

हर इन्द्रियों पर तबा कर हम वीर हो अति धीर हों,

उज्वल रहे सर से सदा, निज धर्मरत संबीर हों।

अतिशुद्ध हों आचार से तन-मन हमारा सर्वदा,

अध्यात्म की शक्ति हमें पल भी नहीं कर दे जुदा।

इस अमर आत्मा का हमें, हर श्वास भर में गम रहें,

ग़र मौत भी आ गयी सुख-दुःख में हम सम रहे।

हे गुरुदेव! हम सबको सदबुद्धि दें। सत्कर्म करने की प्रवृत्ति दें।

सच बोलने का अभ्यास दें। सत्स्वरूप का ज्ञान दें।


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ॐ नमः शिवाय ! ॐ नामः शिवाय !! ॐ नमः शिवाय !!!






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