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Sunday, September 2, 2007

पुस्तके : गीता संदेश

पुस्तके : गीता संदेश

पांच हजार वर्ष पूर्व भारत कि पुण्यभूमि पर गीता का गान गूंजा। दिगदिगन्त गुंजायमान हुआ। विषाद से प्रसाद कि ओर, मृत्यु से अमृत कि ओर , कायरता से वीरता कि ओर, पलायन से पुरुषार्थ कि ओर, भगाने से जागने कि ओर अर्जुन को माध्यम बना भगवान् श्रीकृष्ण ने गीता का संदेश दिया।

गीता, गंगा, गायत्री, गौ और गुरू इस पावन धरती कि संस्कृति कि अभिनव पहचान है। गीता संजीवनी है जो मुर्दा मन कें प्राण फूंकती है। विश्व्व में गंगा एक ही है तो सारे संसार में गीता भी एक ही है। गंगा तन पवित्र करती है, गीता जीवन को पवित्र कराती है।

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