- अपने आप खाकर वह आनन्द नहीं जो दुःखी ,गरीब ,,भूके को खिलाकर आता है ! यह अनुभूति कहने से नहीं होगी कि में कहूँ और आप सुने मान लें ! इसका आनन्द लेना हो तो किसी दिन आप ख़ुद ऐसा करके देखना ! जिन कर्मों से आप भगवान के निकट होते हैं उनसे आपको संतुष्टि मिलती है ,तसल्ली ,मिलती है !
- जीवन प्रभात से
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1 month ago
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