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Sunday, August 26, 2012

guru

गुरु सद्ज्ञान का सागर होता है..सदगुरु अपने जीवन को तप,,त्याग,,स्वाध्याय और संयम में सुशोभित करते हैं..ऐसे अनमोल जीवन में जो अनुभूति होती है,,वे उस अनुभव के सार को अभिव्यक्त करते हुए शिष्यों को जीवन--सूत्र देते हैं..इसलिए तो सदगुरु द्वारा मुखरित वाक्य महावाक्य बन जाता है..संत के द्वारा व्यक्त मन्त्र--महामंत्र बन जाता है,,जो युगों--युगों तक इंसान की प्रेरणा बनकर उसे जागृति प्रदान करता है..सुधांशुजी महाराज

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