अमृत वाणी
हरी ॐ
१. परोपकार ही धर्मं है.
२. प्रतियोगता में मनुष्य को इंसानियत नहीं भुलानी चाहिए
पूज्य सुधांशुजी महाराज के प्रवचनाशं
निरंजन अग्रवाल
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Posted By Madan Gopal Garga to AMRIT VANI Good thoughts by Param Pujay SUDHANSHUJI Maharaj at 1/25/2010 10:30:00 AM
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