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Sunday, July 31, 2011

Fwd: [AMRIT VANI] आज क़ा जीवन सूत्र ३१-७-११

(please visit blog for more postings)

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From: Madan Gopal Garga <mggarga@gmail.com>
Date: 2011/7/31
Subject: [AMRIT VANI] आज क़ा जीवन सूत्र ३१-७-११
To: madan4raj4@gmail.com


आज का जीवन सूत्र ३१-७-११ 
अतिथि आता हे आप के पाप ले जाता है और पुण्य दे जाता है , ध्यान रखो ,  मेहमान क़ा आदर करो !


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Madan Gopal Garga द्वारा AMRIT VANI के लिए 7/31/2011 10:24:00 AM को पोस्ट किया गया

Saturday, July 30, 2011

Fwd: [AMRIT VANI]: आज का जीवन सूत्र 30-7-11



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From: Madan Gopal Garga <mggarga@gmail.com>
Date: 2011/7/30
Subject: [AMRIT VANI] GURUVANNI: आज का जीवन सूत्र 30-7-11
To: madan4raj4@gmail.com

: "आज का जीवन सूत्र 30-7-11 पहले घर छोटे होते थे मगर जगह बहुत थी . मेहमान के लिए भी जगह होती थी , आजकल घर......................................................"



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Madan Gopal Garga द्वारा AMRIT VANI के लिए 7/30/2011 09:27:00 AM को पोस्ट किया गया

Monday, July 25, 2011

Fwd: [AMRIT VANI] रक्षा करो प्रेम



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From: Madan Gopal Garga <mggarga@gmail.com>
Date: 2011/7/24
Subject: [AMRIT VANI] रक्षा करो प्रेम
To: madan4raj4@gmail.com




 रक्षा करो प्रेम








रक्षा करो प्रेम की और देखो ,माँ का प्रेम  , पत्नी का........!


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Madan Gopal Garga द्वारा AMRIT VANI के लिए 7/24/2011 07:41:00 PM को पोस्ट किया गया

Sunday, July 24, 2011

Fwd: [AMRIT VANI] Fwd: [Vishwa Jagruti Mission (Thane)] घर में धर्म



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From: Madan Gopal Garga <mggarga@gmail.com>
Date: 2011/7/24
Subject: [AMRIT VANI] Fwd: [Vishwa Jagruti Mission (Thane)] घर में धर्म
To: madan4raj4@gmail.com




---------- Forwarded message ----------
From: Madan Gopal Garga <mggarga1932@gmail.com>
Date: 2011/7/24
Subject: [Vishwa Jagruti Mission (Thane)] घर में धर्म
To: mggarga4@gmail.com


घर में धर्म लाके घर को स्वर्ग.....................................!  






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Madan Gopal Garga द्वारा AMRIT VANI के लिए 7/24/2011 10:18:00 AM को पोस्ट किया गया

Friday, July 22, 2011

Fwd: [AMRIT VANI] Fwd: [jigyasa aur samadhan] मुझे क्रोध बहुत आता हे



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From: Madan Gopal Garga <mggarga@gmail.com>
Date: 2011/7/22
Subject: [AMRIT VANI] मुझे क्रोध बहुत आता हे
To: madan4raj4@gmail.com








प्रश्न :-मुझे क्रोध बहुत आता हे !क्रोध की स्थिति में कुछ भी कर डालता हूँ जो कई बार बहुत हानिकारक भी होता है ! में क्या करूँ कैसे अपने क्रोध को रोकूँ? 
गुरूदेव :-आप पहले तो एकांत में बैठकर यह विचार करें कि आपको ...........................!




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Madan Gopal Garga द्वारा AMRIT VANI के लिए 7/22/2011 10:02:00 AM को पोस्ट किया गया

Wednesday, July 20, 2011

Fwd: आज का विचार - 7/19/11




जीवन के अन्तिम क्षण तक दूसरों की सेवा, सहायता, सहयोग की कामना तो रखो, परन्तु किसी से माँगने की कामना नहीं ।

परम पूज्य सुधांशुजी महाराज


Have the desire to serve and help others until the last moments of your life.

However, do not have the desire to ask for something from someone.


Translated by Humble Devotee
Praveen Verma



Tuesday, July 19, 2011

Fwd: [Vishwa Jagruti Mission (Thane)] Fwd: आज का विचार - 7/18/11



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From: Madan Gopal Garga <mggarga1932@gmail.com>
Date: 2011/7/19
Subject: [Vishwa Jagruti Mission (Thane)] Fwd: आज का विचार - 7/18/11
To: madan4raj4@gmail.com







यदि किसी का प्रिय कार्य कर दिया है तो उसके सम्बन्ध में मौन रहो और यदि किसी ने तुम्हारा उपकार किया है तो उसे सबके सामने प्रकट करते रहो।



परम पूज्य सुधांशुजी महाराज


If you do any task which is dear to someone, remain quiet about it. And if someone does something good for you,

 

 you must acknowledge that in front of everyone.


 
Translated by Humble Devotee
Praveen Verma






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Posted By Madan Gopal Garga to Vishwa Jagruti Mission (Thane) at 7/19/2011 01:04:00 PM

Sunday, July 17, 2011

Fwd: [Vishwa Jagruti Mission (Thane)] त्याग की भावना



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From: Madan Gopal Garga <mggarga1932@gmail.com>
Date: 2011/7/16
Subject: [Vishwa Jagruti Mission (Thane)] त्याग की भावना
To: madan4raj4@gmail.com


जहां भी त्याग की भावना होगी उस में पैदा होगा प्रेम ,और प्रेम ही वह बंधन जो संसार को बांधे हुए हे ,प्रेम ही वह धुरी है जिस पर संसार टिका हुआ हे ! इस लिए हमेशा त्याग की भावना अपने अदंर रखो , स्वार्थी मत् बनो !



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Posted By Madan Gopal Garga to Vishwa Jagruti Mission (Thane) at 7/16/2011 06:56:00 PM

Wednesday, July 13, 2011

Fwd: [AMRIT VANI] जब मन में सन्तुष्टी हो



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From: Madan Gopal Garga <mggarga@gmail.com>
Date: 2011/7/13
Subject: [AMRIT VANI] जब मन में सन्तुष्टी हो
To: madan4raj4@gmail.com






जब मन में  संतुष्टि हो, ...................


परम पूज्य सुधांशुजी महाराज


When you have mental satisfaction .....................................................

Translated by Humble Devotee
Praveen Verma


 


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Madan Gopal Garga द्वारा AMRIT VANI के लिए 7/13/2011 10:25:00 AM को पोस्ट किया गया

Saturday, July 9, 2011

AMRIT VANI: अंधेरे से बाहर आने की






[http://ammritvanni.blogspot.com/2011/07/blog-post_9451.html?spref=bl]
AMRIT VANI: अंधेरे से बाहर आने की: "अंधेरे से बाहर आने की कोशिश करो ! सूर्य- चन्द्रमा को भी ग्रहण लगता हे ,वस्तुत: ग्रहण कुछ नहीं होता ,बस कुछ देर के......................................."

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Posted By Madan Gopal Garga to GURUVANNI at 7/09/2011 10:32:00 AM

Monday, July 4, 2011

] संसार में सूर्य क्यों



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From: Madan Gopal Garga <mggarga@gmail.com>
Date: 2011/7/4
Subject: [AMRIT VANI] संसार में सूर्य क्यों
To: madan4raj4@gmail.com






संसार में सूर्य क्यों पूजनीय है? क्योंकि वह सबके काम आता है।



इसी तरह.......
please visit AMRIT VANI 


परम पूज्य सुधांशुजी महाराज



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Posted By Madan Gopal Garga to AMRIT VANI at 7/04/2011 09:45:00 AM